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Dear India Tv/Hindi News : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को NEET-UG विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की और कहा कि विपक्ष को देश के छात्रों और अभिभावकों से उन्हें “गुमराह” करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विववादित NEET-UG 2024 परीक्षा को रद्द करने और फिर से परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन किया गया था। दोबारा परीक्षा का आदेश देने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी मौजूद रिकॉर्ड है उससे प्रश्नपत्र के “व्यवस्थित लीक” का संकेत नहीं मिलता हैं।

मीडिया से बात करते हुए प्रधान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि “सत्य की जीत हुई है”। उन्होंने कहा, “हम शुरू से कहते आ रहे हैं कि हमारी प्राथमिकता इस देश के छात्र हैं। सरकार की हमेशा प्राथमिकता रही है कि छात्रों के भविष्य के साथ कोई छेड़छाड़ न हो।

पिछले 2-2.5 महीने से सरकार का रुख रहा है कि बड़े पैमाने पर कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में इसे बरकरार रखा है। मैं सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करना चाहता हूं।” शिक्षा मंत्री ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा, जिन्होंने देश की परीक्षा प्रणाली को “बकवास” कहा था।

उन्होंने कहा कि उन्हें और विपक्ष को देश के छात्रों और अभिभावकों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जब NEET का मामला आया तो आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष की भूमिका स्पष्ट हो गई। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कल तक जो रवैया अपनाया था, देश की परीक्षा प्रणाली को अमान्य ठहराते हुए और इसे “बकवास” कहते हुए, वह उनकी मानसिक स्थिति को दर्शाता है… इसकी आलोचना करके राहुल गांधी जी ने भारत की आलोचना की है।”

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा , “देश के छात्रों को गुमराह करना यह सब उनकी राजनीति का हिस्सा था। चुनाव परिणामों को खारिज करके देश में अराजकता और नागरिक अशांति फैलाना उनकी रणनीति का हिस्सा बन गया है। मैं उनसे और विपक्ष के उन सभी लोगों से अपील करता हूं जो इस तरह के गैरजिम्मेदाराना कृत्यों में शामिल थे कि वे देश के छात्रों, युवाओं और अभिभावकों से माफी मांगें।

आपने देश को नुकसान पहुंचाया है, देश में अराजकता फैलाने की कोशिश की है और देश में नागरिक अशांति फैलाने की साजिश की है। देश आपको माफ नहीं करेगा। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अलग-अलग हो सकती है, लेकिन छात्र सभी के हैं।” प्रधान ने कहा कि सरकार की सबसे बड़ी चिंता समाज के कमजोर वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ग्रामीण छात्र हैं और शीर्ष अदालत ने भी अपना फैसला देते समय इसे ध्यान में रखा है।

हमारे लिए, छात्रों के लिए परीक्षा मायने रखती है – चाहे वह उच्च शिक्षा हो या नौकरी। इसीलिए मोदी सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम जैसा सख्त कानून बनाया है। शिक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया था, ताकि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं का पारदर्शी और सुचारू रुप से संचालन सुनिश्चित किया जा सके।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “मैं देश के युवाओं और छात्रों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम एनटीए को त्रुटि-मुक्त संगठन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रक्रिया में, इन अनियमितताओं में शामिल सभी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। हमारी प्राथमिकता छात्रों का विश्वास और शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।”

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