Farmers Protest : शंभू बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि यह मामला पहले से ही अदालत के संज्ञान में है और इससे संबंधित याचिका लंबित है।
शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 8 दिसंबर को दिल्ली मार्च स्थगित करते हुए कहा था कि वे 9 दिसंबर को अपनी आगे की रणनीति साझा करेंगे। किसानों का आरोप है कि उनके प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने आंसू गैस, रबर की गोलियां और पानी की बौछारें इस्तेमाल कीं, जिसमें 6-8 किसान घायल हो गए। एक किसान को गंभीर चोटें आने के कारण चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
Farmers Protest : सुप्रीम कोर्ट में याचिका का उद्देश्य
शंभू बॉर्डर समेत हाईवे जाम से जुड़े इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में केंद्र, पंजाब, और हरियाणा सरकार को हाईवे खोलने और बाधा हटाने के निर्देश देने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईवे जाम करना नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह नेशनल हाइवे एक्ट व भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत अपराध है।
Farmers Protest : 8 दिसंबर को किसानों का दिल्ली मार्च
8 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे किसानों को हरियाणा पुलिस ने मल्टी-लेयर बैरिकेडिंग पर रोक दिया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं।
Farmers Protest : किसानों की मांग और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
किसानों का कहना है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, जबकि याचिकाकर्ता इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और आम जनता के अधिकारों का हनन बताते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल हस्तक्षेप से इनकार करते हुए यह स्पष्ट किया कि अदालत पहले ही इस मामले में सुनवाई कर चुकी है और आगे की कार्रवाई के लिए मामला लंबित है।
आंदोलनकारी किसानों द्वारा आज अपनी अगली रणनीति की घोषणा किए जाने की उम्मीद है।
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