Atul Subhash suicide Case

Atul Subhash suicide Case : बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने एक गहरी और दर्दनाक कहानी को उजागर किया है। इस मामले में चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) पंकज ज्योति ने पर्दे के पीछे की कुछ अहम बातें साझा की हैं, जो इस त्रासदी के कारणों को समझने में मदद करती हैं। पंकज ज्योति के अनुसार, साल 2021 में निकिता और अतुल के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए पहल की गई थी, और दोनों के बीच सुलह का रास्ता लगभग साफ हो गया था। लेकिन अविश्वास और कुछ कारणों से समझौता नहीं हो पाया, जिसके बाद तीन साल बाद अतुल ने खुदकुशी कर ली।

Atul Subhash suicide Case : 2021 में सुलह की कोशिश

साल 2021 में, निकिता के परिवार ने अपने रिश्तेदारों के जरिए पंकज ज्योति से संपर्क किया था, ताकि अतुल और निकिता के बीच चल रहे विवाद को सुलझाया जा सके। इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों परिवारों के बीच मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू हुई। यह प्रयास लगभग सफल हो गया था, क्योंकि निकिता और उसके परिवार ने 22 लाख रुपये लेने के बाद केस वापस लेने पर सहमति दे दी थी।

Atul Subhash suicide Case : अविश्वास के कारण समझौता असफल

हालांकि, एक बड़ी बाधा सामने आई। दोनों परिवारों के बीच अविश्वास ने इस समझौते को पूरा होने से रोक दिया। अतुल लगातार अपने परिवार से कह रहे थे कि जो लोग समझौता कर रहे हैं, उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उनके इन शब्दों ने परिवारों को अधिक संकोच और भ्रमित किया। आखिरकार, इस समझौते के बावजूद दोनों पक्षों ने अपने-अपने रास्ते अलग कर लिए।

Atul Subhash suicide Case : 22 लाख रुपये का विवाद

मध्यस्थता के दौरान यह तय किया गया कि निकिता को शादी में हुए खर्चे के बदले 22 लाख रुपये दिए जाएंगे, जिससे वह अपने केस वापस ले लेंगी। पंकज ज्योति के पास यह राशि जमा कराई गई थी और दोनों पक्षों को 22 लाख रुपये मिलने के बाद केस समाप्त कर दिया जाता। लेकिन कुछ कारणों से, दोनों परिवारों ने पंकज ज्योति से संपर्क करना बंद कर दिया, और इस प्रक्रिया को अधूरा छोड़ दिया गया।

अतुल की आत्महत्या और अफसोस

अतुल सुभाष की आत्महत्या ने सभी को चौंका दिया। पंकज ज्योति, जो इस मामले की मध्यस्थता कर रहे थे, ने कहा, “काश! 2021 में यदि दोनों ने समझौता कर लिया होता, तो आज अतुल जिंदा होते।” उनका अफसोस इस बात का था कि समय पर विवाद सुलझाया जा सकता था, लेकिन अविश्वास और संकोच ने एक और जान को लील लिया। अतुल का यह कदम न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि दोनों परिवारों के लिए एक बड़ी सीख बनकर उभरा है।

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