Dear India Tv/Hindi News : मानसून के मौसम में, उच्च आर्द्रता और बढ़ी हुई नमी विभिन्न नेत्र संक्रमणों के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है। इस अवधि के दौरान कुछ सामान्य नेत्र संक्रमणों में शामिल हैं:
नेत्रश्लेष्मलाशोथ (गुलाबी आँख):
वायरल नेत्रश्लेष्मलाशोथ: अक्सर एडेनोवायरस के कारण होता है, यह अत्यधिक संक्रामक होता है और लालिमा, पानी जैसा स्राव और जलन की विशेषता रखता है।
बैक्टीरियल नेत्रश्लेष्मलाशोथ: स्टैफिलोकोकस या स्ट्रेप्टोकोकस जैसे बैक्टीरिया के कारण होता है, यह लालिमा, पीले या हरे रंग का स्राव और सूजन का कारण बनता है।
एलर्जिक नेत्रश्लेष्मलाशोथ: पराग, धूल या मोल्ड जैसे एलर्जेंस से ट्रिगर होने पर, यह लालिमा, खुजली और आँखों से पानी आने का कारण बनता है।
स्टाई (होर्डियोलम):
स्टाई पलक में तेल ग्रंथियों का एक संक्रमण है, जो अक्सर स्टैफिलोकोकस जैसे बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके परिणामस्वरूप पलक के किनारे पर एक दर्दनाक, लाल धब्बा बन जाता है।
केराटाइटिस:
कॉर्निया की सूजन, केराटाइटिस बैक्टीरिया, वायरस, कवक या परजीवियों के कारण हो सकता है। इसके लक्षणों में आंखों में दर्द, लालिमा, धुंधली दृष्टि और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता शामिल हैं।
सूखी आंखें:
उच्च आर्द्रता के बावजूद, इनडोर एयर कंडीशनिंग और लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से सूखी आंखें हो सकती हैं, जिससे जलन, लालिमा और किरकिरापन महसूस हो सकता है।
फंगल आई इंफेक्शन:
फंगल इंफेक्शन, हालांकि कम आम है, दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने के कारण हो सकता है। इसके लक्षणों में लालिमा, दर्द, डिस्चार्ज और दृष्टि संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
निवारक उपाय:
अच्छी स्वच्छता बनाए रखें: बार-बार हाथ धोएं और अपनी आंखों को छूने से बचें।
व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा करने से बचें: तौलिये, आई मेकअप या कॉन्टैक्ट लेंस साझा न करें।
अपनी आंखों की सुरक्षा करें:
यदि आप धूल या अन्य परेशानियों के संपर्क में आते हैं तो सुरक्षात्मक आईवियर का उपयोग करें।
Eyes को साफ रखें:
अगर आपकी eyes जलन महसूस करती हैं तो उन्हें साफ पानी से धो लें।
हाइड्रेटेड रहें:eyes के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए खूब पानी पिएं।
स्वच्छ जल का प्रयोग करें:
अपना चेहरा या eyes धोने के लिए दूषित पानी का प्रयोग करने से बचें।