भारतीय वायुसेना को स्वदेशी Tejas लड़ाकू विमानों के लिए आवश्यक इंजन की आपूर्ति में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) की देरी से बड़ा झटका लगा है। 2021 में भारत ने GE के साथ Tejas के लिए 99 एडवांस इंजनों का सौदा किया था, जिसकी डिलीवरी मार्च 2023 से शुरू होनी थी। हालांकि, GE ने अब इस आपूर्ति में एक और साल की देरी का संकेत दिया है, जिससे अब ये इंजन अप्रैल 2025 से ही मिल पाएंगे।
इस देरी का सीधा प्रभाव भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता और सैन्य तैयारियों पर पड़ रहा है। फिलहाल वायुसेना को पुराने रिजर्व इंजनों का उपयोग कर परीक्षण जारी रखना पड़ा है, जिससे Tejas की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इससे Tejas परियोजना की गति धीमी हो रही है, और इसकी सामरिक क्षमताओं पर भी असर पड़ रहा है।
भारत सरकार ने GE द्वारा अनुबंध का पालन न करने पर सख्त रुख अपनाया है। भारत ने GE पर जुर्माना लगाया है और स्पष्ट किया है कि समय पर डिलीवरी न होने पर और भी दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल ही में अमेरिका दौरे के दौरान इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया था, ताकि अमेरिका-भारत के रक्षा संबंधों पर इसका असर न पड़े।
GE ने देरी का कारण दक्षिण कोरियाई सप्लायर से आपूर्ति में समस्या और वित्तीय दिक्कतों को बताया है। रिपोर्टों के अनुसार, GE के दक्षिण कोरियाई आपूर्तिकर्ता के साथ वित्तीय समस्याओं के चलते इस देरी का सामना करना पड़ा है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने GE से तकनीकी हस्तांतरण की मांग की है, ताकि भविष्य में भारत में ही इन इंजनों का निर्माण किया जा सके। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेगा। भारत हाल के वर्षों में रक्षा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है, और यह पहल उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
Tejas परियोजना की धीमी प्रगति ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की निर्माण प्रक्रिया पर भी असर डाला है। HAL को भारतीय वायुसेना से कई Tejas विमानों का ऑर्डर मिला है और अभी उसकी निर्माण क्षमता सालाना 5-6 विमानों की है, जिसे अगले साल तक 24 विमानों तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन यह वृद्धि GE द्वारा समय पर इंजन की आपूर्ति पर निर्भर करती है।
भारतीय वायुसेना की रणनीतिक तैयारियों और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य पर इस देरी का गहरा प्रभाव पड़ा है। समय पर डिलीवरी न होने से न केवल Tejas परियोजना की प्रगति प्रभावित हो रही है, बल्कि भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में भी एक नया मोड़ आया है।