संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया, जो 20 दिसंबर तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से पहले Pm Modi नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर से देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, “जिन्हें जनता 80 बार नकार चुकी है, वे संसद का काम रोकने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं।
संविधान के 75 वर्षों का विशेष उल्लेख
Pm Modi ने कहा कि यह सत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा संविधान 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए “उज्ज्वल अवसर” बताते हुए कहा कि इस सत्र का माहौल सकारात्मक और रचनात्मक होना चाहिए।
रचनात्मक चर्चा पर जोर
Pm Modi ने संसद में स्वस्थ बहस की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “संविधान निर्माताओं ने हर पहलू पर विस्तार से चर्चा करके इसे तैयार किया था। हमें उसी भावना को बनाए रखते हुए संसद में सकारात्मक और रचनात्मक बहस करनी चाहिए।” उन्होंने सभी सांसदों, खासकर नए सदस्यों से अपील की कि वे चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लें।
विपक्ष को लेकर आलोचना
Pm Modi ने कहा कि जिन राजनीतिक दलों को बार-बार जनता द्वारा नकारा गया है, वे संसद में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य है कि कुछ लोग हुड़दंगबाजी से संसद को नियंत्रित करना चाहते हैं। लेकिन समय आने पर देश की जनता उन्हें सजा देती है।”
16 विधेयकों पर होगी चर्चा
इस सत्र के दौरान कुल 16 विधेयकों पर चर्चा की योजना है। इनमें वक्फ (संशोधन) विधेयक सहित 11 विधेयक पहले से सूचीबद्ध हैं, जबकि 5 नए विधेयक पेश किए जाएंगे। सरकार इन विधेयकों को पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि विपक्ष मणिपुर हिंसा, अडानी समूह से जुड़े आरोप और अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
Pm Modi ने कहा कि देश 2025 के स्वागत की तैयारी कर रहा है और 2024 के अंतिम चरण में संसद का यह सत्र नीतिगत निर्णयों के लिए उपयोगी होना चाहिए। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे देशहित में रचनात्मक चर्चा करें और संसद को सुचारु रूप से चलने दें।
सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना
विपक्षी दल जहां अपने तेवर सख्त रखते नजर आ रहे हैं, वहीं सरकार अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगी। अडानी समूह और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों को लेकर संसद के इस सत्र में जोरदार बहस और संभावित टकराव देखने को मिल सकता है।यह सत्र भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण रहेगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच बहस के दौरान किस प्रकार के निर्णय लिए जाते हैं।
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