भारत दुनिया में दूसरा ऐसा देश है, जहां डायबिटीज के सबसे अधिक मरीज हैं, और यह बीमारी अब कम उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर रही है।
2021 में, 20–79 वर्ष की उम्र के 7.4 करोड़ भारतीय डायबिटीज के शिकार थे। 2045 तक, यह संख्या बढ़कर 12.4 करोड़ हो सकती है।
हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) द्वारा की गई एक रिसर्च ने इस बढ़ती डायबिटीज के पीछे के गुप्त कारणों को उजागर किया है।
रिसर्च में पता चला है कि एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs), रहस्यमय यौगिक, डायबिटीज के बढ़ने का मुख्य कारण हैं।
ये हानिकारक AGEs तब बनते हैं जब प्रोटीन या फैट ब्लडस्ट्रीम में ग्लूकोज के साथ मिलते हैं, जिसे ग्लाइकेशन कहा जाता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि AGEs केवल शरीर में नहीं बनते। ये उन खाद्य पदार्थों में भी उत्पन्न हो सकते हैं, जिन्हें उच्च तापमान पर पकाया जाता है—जैसे ग्रिलिंग, फ्राइंग, या टोस्टिंग—जो इन यौगिकों के खतरनाक स्तरों को पैदा करते हैं।
जब इनका सेवन अधिक होता है, तो AGEs शरीर में जमा हो जाते हैं, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
शरीर में AGEs के उच्च स्तर केवल डायबिटीज से जुड़े नहीं हैं। ये हृदय रोग, किडनी फेल, अल्जाइमर और समय से पहले बूढ़ा होने का भी कारण बन सकते हैं।
फ्राइड फूड, बेक्ड सामान, प्रोसेस्ड आइटम और भुने हुए नट्स—ये एकदम सामान्य दिखने वाले भारतीय आहार के हिस्से हैं—चुपचाप डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा रहे हैं।
तलने, भूनने और ग्रिल करने की विधियों से तैयार किए जाने वाले ये खाद्य पदार्थ शरीर में AGEs के स्तर को बढ़ा रहे हैं, जो भारत में डायबिटीज की बढ़ती संख्या को बढ़ावा दे रहे हैं।