Ratan Tata

Sir Ratan Tata  : भारत के मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा का मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में निधन हो गया। रतन टाटा 86 साल के थे और वह कुछ दिनों से बीमार थे। रतन टाटा पारसी थे, फिर भी उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति-रिवाज से नहीं किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार वर्ली के इलेक्ट्रिक फायर दाह में किया जाएगा.

Sir Ratan Tata  : भारत के मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में निधन हो गया। रतन टाटा 86 साल के थे और वह कुछ दिनों से बीमार थे। उनके निधन पर पूरा देश शोक मना रहा है.रतन टाटा पारसी थे, फिर भी उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति-रिवाज से नहीं किया जाएगा। बल्कि, रतन टाटा का अंतिम संस्कार वर्ली के इलेक्ट्रिक फायर दाह में किया जाएगा।

Sir Ratan Tata  : पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार का तरीका बिल्कुल अलग है

जिस तरह हिंदू धर्म में शव का अंतिम संस्कार किया जाता है, उसी तरह इस्लाम और ईसाई धर्म में शव को दफनाया जाता है। लेकिन, पारसी लोगों में शव को आसमान के हवाले कर ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’ के ऊपर रख दिया जाता है।

टॉवर ऑफ साइलेंस क्या है ?

Sir Ratan Tata  : टावर ऑफ साइलेंस को दखमा कहा जाता है। टावर ऑफ साइलेंस एक गोलाकार संरचना है, जिसके शीर्ष पर शव को सूर्य की रोशनी में रखा जाता है। जिसके बाद गिद्ध आकर शव को खाते हैं। गिद्धों द्वारा शव खाना भी पारसी समुदाय की प्रथा का हिस्सा है। इस अंतिम संस्कार प्रक्रिया को दोखमेनाशिनी कहा जाता है।पारसियों में शव को सूर्य की किरणों के सामने रखा जाता है जिसके बाद गिद्ध, चील और कौवे शव को खा जाते हैं। पारसी धर्म में किसी शव को जलाना या दफनाना प्रकृति को प्रदूषित करने जैसा माना जाता है।

पारसी धर्म के लोग शव को अशुद्ध मानते हैं

Sir Ratan Tata : पारसी समुदाय में शव को खुले आसमान के नीचे छोड़ने के पीछे एक अहम कारण है। दरअसल, पारसी समुदाय में माना जाता है कि शव अशुद्ध होता है। पारसी लोग पर्यावरण प्रेमी होते हैं इसलिए वे शरीर को नहीं जलाते क्योंकि इससे अग्नि तत्व अशुद्ध हो जाता है। वहीं पारसियों में शवों को दफनाया भी नहीं जाता क्योंकि इससे पृथ्वी प्रदूषित होती है और पारसी लोग शवों को नदी में प्रवाहित करके उनका अंतिम संस्कार नहीं कर सकते क्योंकि इससे जल तत्व प्रदूषित होता है। पारसी धर्म में पृथ्वी, जल, अग्नि तत्व को बहुत पवित्र माना जाता है। पारंपरिक पारसियों का कहना है कि शवों को जलाकर अंतिम संस्कार करना धार्मिक दृष्टि से सही नहीं है।

साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार भी पारसी रीति-रिवाज से नहीं किया गया

Sir Ratan Tata : जिस तरह रतन टाटा का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह से किया जाएगा. उसी तरह टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का भी दाह संस्कार इलेक्ट्रिक दाह संस्कार से किया गया था न कि पारसी रीति-रिवाज से। जानकारी के लिए बता दें, साइरस मिस्त्री की 4 सितंबर 2022 को महाराष्ट्र के पालघर में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।

रतन टाटा के अंतिम संस्कार की विधि

Sir Ratan Tata : विद्युत दाह संस्कार के लिए रतन टाटा के पार्थिव शरीर को वर्ली ले जाया जाएगा। फिर उनके पार्थिव शरीर को प्रार्थना कक्ष में रखा जाएगा. प्रार्थना कक्ष में लगभग 200 लोग उपस्थित रह सकते हैं। करीब 45 मिनट तक प्रार्थना होगी. फिर प्रार्थना कक्ष में पारसी परंपरा में ‘गेह-सरनु’ का पाठ किया जाएगा. इसके बाद रतन टाटा के चेहरे पर कपड़े का एक टुकड़ा रखा जाएगा और ‘अहन्वेति’ के पहले पूर्ण अध्याय का पाठ किया जाएगा. यह शांति प्रार्थना की एक प्रक्रिया है। प्रार्थना प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को विद्युत शवदाह गृह में रखा जाएगा और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

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