Farmer movement : किसानों के विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। शंभू बॉर्डर पर डटे किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि किसान 14 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने बताया कि यह आंदोलन 303 दिन से चल रहा है और किसानों का आमरण अनशन भी अब 15वें दिन में प्रवेश कर चुका है।
Farmer movement : किसानों की मांगें और संघर्ष
किसानों ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय देने जैसी मांगें रखी हैं। इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और पिछले किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की गई है।
Farmer movement : पहले भी हुई कूच की कोशिश
6 और 8 दिसंबर को किसानों ने दिल्ली कूच का प्रयास किया था लेकिन हरियाणा के सुरक्षाबलों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस दौरान किसानों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया। कई किसान घायल हुए और उन्हें वापस लौटना पड़ा।
13 फरवरी से किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने पहले भी दो बार दिल्ली मार्च का प्रयास किया लेकिन दोनों बार उन्हें रोका गया।
Farmer movement : 14 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था
किसान नेता पंढेर ने कहा कि इस बार दोनों संगठनों ने तय किया है कि 14 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था दिल्ली भेजा जाएगा। इसके पहले बुधवार को किसान आंदोलन की सफलता के लिए प्रार्थना करेंगे। उन्होंने फिल्मी सितारों, गायकों और धार्मिक नेताओं से भी अपील की है कि वे उनके विरोध प्रदर्शन का प्रचार करें।
पंढेर ने कहा कि किसानों ने हमेशा बातचीत का स्वागत किया है लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।
आंदोलन का उद्देश्य
किसानों का यह आंदोलन उनके अधिकारों और मांगों को लेकर है। यह प्रदर्शन न केवल किसानों के लिए बल्कि खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए भी अहम है। 14 दिसंबर को होने वाले दिल्ली कूच पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
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