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Dear India Tv/Hindi News : उत्तर प्रदेश के Hathras जिले में एक धार्मिक समागम के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 120 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर देखने को मिली है और इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं, इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. इसमें एक आदमी की मौत हुई, सात बच्चों की मौत हुई और बाकी लोग महिलाएं थीं. महिलाओं की संख्या आपको सबसे ज्यादा मिलेगी.

Hathras में कितने लोग दुर्घटना के चपेट में आए ….

Hathras में पूरे कार्यक्रम की वजह से 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और बताया जा रहा है कि जिस कार्यक्रम में ये घटना हुई, जैसा कि प्लान में लिखा है,Hathrasके कार्यक्रम में 2.5 लाख लोग मौजूद थे और सुरक्षा के इंतजाम ठीक से नहीं किए गए थे. लोगों को मैनेज करने के इंतजाम ठीक से नहीं किए गए थे.

जैसा कि कार्यक्रम के प्रश्नपत्र में कहा गया था कि वहां 80 हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद थी लेकिन उम्मीद से ज्यादा 2.5 लाख लोग वहां पहुंच गए, जिसकी वजह से सुरक्षा के इंतजाम नाकाम साबित हुए. अब इसके अलावा ये पहली बार नहीं है कि किसी धार्मिक समागम में भगदड़ में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई हो.

भारत में 1954 से 2012 के बीच 79% भगदड़ की घटनाएं धार्मिक सामूहिक कार्यक्रमों में हुईं। हमने इन्हें धार्मिक आयोजनों में देखा। इसके मुख्य आरोपी भोले बाबा को या तो गिरफ्तार कर लिया गया है या उनसे पूछताछ की जा रही है।

बाबा की सच्चाई: सूरजपाल भोले बाबा पर गंभीर आरोप

सूरजपाल भोले बाबा के छोटे भाई की पत्नी ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि बाबा उनके बच्चों के साथ मारपीट करता था। उनके अनुसार, ‘भोले बाबा का हमारे परिवार से अब कोई मतलब नहीं है। बाबा ने एक बार हमारे बच्चों के साथ भी मारपीट की थी, जो मामला थाने तक पहुंचा था।’

उन्होंने बताया कि ‘भोले बाबा के किसी भी सत्संग में हम कभी नहीं गए। न ही हमारा उनसे कोई संबंध है। वो सगे भाई की मौत पर भी नहीं आए, और न ही परिवार के किसी अन्य सदस्य की मौत पर आए। इसलिए हमारा उनसे अब कोई मतलब नहीं है।इस खुलासे ने सूरजपाल भोले बाबा की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और उनके परिवार के साथ संबंधों को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है।

पुलिस अधिकारी से कैसे बने भोले बाबा :

नारायण साकर हरीराम जिले के निवासी हैं, जो अब कासगंज जिले के बहादुरपुर गांव में रहते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस में स्थानीय अभिसूचना इकाई (LIU) से अपनी नौकरी की शुरुआत की थी और करीब 28 साल पहले धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी होने पर उन्हें सजा हुई थी। जेल में रहने के कारण सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इससे पहले सूरजपाल जाटव करीब 18 थानों और स्थानीय अभिसूचना इकाई में अपनी सेवाएं दे चुके थे।

इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार बताते हैं कि धोखाधड़ी के एक मामले में सूरजपाल ने काफी समय एटा जेल में बिताया और जेल से छूटने के बाद ही सूरजपाल भोले बाबा के रूप में लोगों के सामने आए। पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल ने कोर्ट की शरण ली और फिर नौकरी में बहाल हो गए, लेकिन 2002 में आगरा जिले से वीआरएस ले लिया कुछ सालों में उनके भक्त उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारने लगे और बड़े-बड़े आयोजन होने लगे, जिसमें हजारों लोग शामिल होते थे।

संजय कुमार ने यह भी बताया कि 75 वर्षीय सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के तीन भाई हैं। सबसे बड़े सूरजपाल हैं, दूसरे भगवान दास हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जबकि तीसरे राकेश कुमार हैं, जो पूर्व ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। यह जरूर है कि अब बाबा का अपने गांव में आना कम हो गया है। हालांकि, बहादुरपुर गांव में उनका चैरिटेबल ट्रस्ट अभी भी सक्रिय हैHtahe

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