Jhansi fire incident : उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात हुए दर्दनाक अग्निकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अस्पताल के एनआईसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) में लगी आग से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए। इस त्रासदी ने न केवल पीड़ित परिवारों को बल्कि पूरे देश को शोक में डाल दिया है।
Jhansi fire incident : कैसे हुआ हादसा?
अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, डॉ. सचिन माहौर के अनुसार, आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। घटना के वक्त एनआईसीयू में 54 नवजात बच्चे भर्ती थे। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अंदर शॉर्ट सर्किट की वजह से आग फैल गई। चूंकि कमरा ऑक्सीजन से भरा हुआ था, आग तेजी से भड़क गई। 39 बच्चों को रेस्क्यू किया गया, लेकिन 10 बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी।
Jhansi fire incident : अस्पताल में अफरातफरी का माहौल
घटना के वक्त अस्पताल में चीखपुकार मच गई। धुएं और आग की लपटों ने पूरे एनआईसीयू को अपनी चपेट में ले लिया। बच्चे के मातापिता खिड़कियों पर चढ़कर शीशे तोड़ते हुए अपने बच्चों को बचाने की कोशिश कर रहे थे। स्टाफ और बचावकर्मियों के न होने से मातापिता ने खुद बच्चों को जलती हुई वार्ड से बाहर निकाला। यह मंजर इतना भयावह था कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
Jhansi fire incident : सरकार और नेताओं की प्रतिक्रियाएं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे का ऐलान किया। उन्होंने मृतक बच्चों के परिवारों को 55 लाख रुपए और घायल बच्चों के परिजनों को 5050 हजार रुपए की सहायता देने की घोषणा की। साथ ही घटना की जांच के लिए मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे को हृदयविदारक बताया। उन्होंने मृतकों के परिवारों के लिए 22 लाख रुपए और घायलों के लिए 50 हजार रुपए मुआवजे की घोषणा की। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को हरसंभव राहत और बचाव कार्य करने का निर्देश दिया।
अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
प्रियंका गांधी ने कहा कि यह घटना बेहद दर्दनाक और हृदयविदारक है। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
अखिलेश यादव ने इसे चिकित्सा प्रबंधन और प्रशासन की घोर लापरवाही बताया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
मायावती ने घटना को घातक लापरवाही का नतीजा बताते हुए दोषियों को सख्त सजा देने की अपील की।
जांच के आदेश और मुआवजे की घोषणा
सरकार ने तीन स्तरों पर जांच के आदेश दिए हैं:
1. प्रशासनिक जांच (स्वास्थ्य विभाग द्वारा)
2. पुलिस प्रशासन द्वारा जांच
3. मजिस्ट्रेट स्तर पर जांच
प्रभावित परिवारों को राहत देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने कुल 77 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है।
पीड़ित परिवारों का दर्द
घटना ने मातापिता को असहनीय पीड़ा दी है। बच्चे के शवों को अपने हाथों में थामे मातापिता की तकलीफ को शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है। कई परिवार अभी भी अपने बच्चों की पहचान करने की प्रक्रिया में जुटे हैं।
सुरक्षा उपायों की कमी उजागर
यह घटना अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की कमी और लापरवाही को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य उपकरणों की नियमित जांच और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए उचित तैयारी होना अनिवार्य है।
समाप्ति पर एक सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर से चिकित्सा प्रणाली की खामियों और आपात स्थितियों से निपटने की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि जांच रिपोर्ट में क्या सामने आता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
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