Jhansi Hospital Fire : झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु चिकित्सा इकाई (NICU) में लगी भीषण आग ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस घटना में जहां 10 नवजात बच्चों की जान चली गई, वहीं नर्स मेघा जेम्स ने अपनी जान की परवाह किए बिना 15 नवजातों की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभाई।
हादसे की शुरुआत : कैसे लगी आग
शुक्रवार को NICU वार्ड में अचानक आग लगने की घटना ने अस्पताल में अफरातफरी मचा दी। नर्स मेघा ने बताया कि जब वह एक बच्चे को टीका लगाने के लिए सिरिंज लेने बाहर गई थीं, तभी उन्होंने वापस आकर देखा कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग चुकी है। उन्होंने तुरंत वार्ड बॉय को बुलाया, जिसने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग तेजी से फैल गई।
Jhansi Hospital Fire : बच्चों को बचाने का कठिन अभियान
आग फैलने के बावजूद मेघा ने हिम्मत नहीं हारी। धुएं और अंधेरे के बीच भी उन्होंने और अन्य स्टाफ ने मिलकर NICU वार्ड के शीशे तोड़ दिए और बच्चों को एकएक कर बाहर निकालने लगे। मेघा ने बताया, “उस समय धुआं इतना था कि कुछ भी देख पाना मुश्किल हो गया था। रोशनी चली जाने से स्थिति और भी खराब हो गई।”
वार्ड में कुल 2324 बच्चे भर्ती थे। स्टाफ ने 1415 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि, रोशनी की कमी और आग की तेज लपटों के कारण अन्य बच्चों को बचाना संभव नहीं हो पाया।
नर्स मेघा का साहस : जान की परवाह किए बिना बचाई जिंदगी
आग बुझाने और बच्चों को बचाने के दौरान मेघा खुद भी झुलस गईं। उन्होंने बताया, “मेरी चप्पल में आग लग गई और पैर जल गया। फिर मेरी सलवार में आग लग गई। उस वक्त मेरा दिमाग लगभग काम नहीं कर रहा था। मैंने सलवार उतारकर फेंक दी और दूसरी सलवार पहनकर फिर से बच्चों को बचाने में लग गई।”
उनका पैर जल गया था और कपड़ों में आग लग चुकी थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी और लगातार बच्चों को बाहर निकालने में जुटी रहीं।
Jhansi Hospital Fire : अस्पताल ने किया मेघा का सम्मान
सहायक नर्सिंग अधीक्षक नलिनी सूद ने मेघा की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा, “उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना बच्चों की जान बचाने के लिए जो साहस दिखाया, वह काबिले तारीफ है।” सूद ने यह भी बताया कि मेघा का इलाज उसी अस्पताल में चल रहा है और उनकी चोटों की पूरी जानकारी जल्द ही सामने आएगी।
बचाव के दौरान सामने आईं समस्याएं
इस हादसे ने अस्पताल में फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल और सुरक्षा उपायों पर कई सवाल खड़े कर दिए। मेघा ने बताया कि अगर रोशनी बंद नहीं होती, तो शायद और बच्चों को बचाया जा सकता था। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि आग से बचाए गए एक नवजात की अगले दिन बीमारी के कारण मौत हो गई।
Jhansi Hospital Fire : आग लगने के कारण और जांच
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आग स्विच बोर्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। जिलाधिकारी ने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, मेडिकल कॉलेज के एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अंशुल जैन ने दावा किया कि अस्पताल ने प्रोटोकॉल का पालन किया था, जिसकी वजह से कई जानें बचाई जा सकीं।
झांसी की वीरांगना : नर्स मेघा का जज्बा
मेघा की बहादुरी ने दिखा दिया कि सच्चे साहस और कर्तव्यनिष्ठा के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। उनकी इस वीरता को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साहस से जोड़ा जा रहा है। जैसे महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने राज्य और लोगों की रक्षा के लिए साहस दिखाया था, वैसे ही मेघा ने नवजातों की जान बचाने के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की।
झांसी की इस दुखद घटना ने जहां कई परिवारों को गहरा दर्द दिया, वहीं नर्स मेघा जैसे कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों ने मानवता की मिसाल पेश की। यह हादसा अस्पतालों में फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल और सुरक्षा उपायों की सख्ती से समीक्षा की आवश्यकता की ओर भी इशारा करता है। मेघा की बहादुरी लंबे समय तक याद की जाएगी और वह समाज के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी।
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