प्रयागराज में 2025 का Mahakumbh न केवल धार्मिक महत्व का आयोजन होगा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे विशेष पहचान मिलेगी। इस बार का Mahakumbh अपनी भव्यता, विविधता, और धार्मिक, सांस्कृतिक तथा पर्यावरणीय पहलुओं के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है। भारतीय सेना के जवानों की उपस्थिति, विभिन्न देशों के अतिथियों का संगम में आस्था की डुबकी लगाना और आधुनिक तकनीकी सेवाओं का समावेश इसे एक अद्वितीय आयोजन बनाएगा।
विदेशों से आने वाले मेहमान और गंगा आरती का विशेष आकर्षण
Mahakumbh 2025 में पहली बार इजरायल, अमेरिका, फ्रांस, वियतनाम, इटली, कनाडा और म्यांमार जैसे देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। प्रयागराज में संगम पर आयोजित होने वाली गंगा आरती, जो 1997 में काशी की तर्ज पर शुरू की गई थी, इस बार और भी भव्य होगी। भारतीय सेना के जवानों के साथ गंगा आरती में इन विदेशी अतिथियों का शामिल होना एक ऐतिहासिक क्षण होगा जो Mahakumbh के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को विश्व पटल पर उजागर करेगा।
साधु-संतों का योगदान और पर्यावरण संरक्षण
Mahakumbh में देशभर के विशिष्ट संतों को विशेष सम्मान दिया जाएगा, जिनकी उपस्थिति इस आयोजन को गौरवपूर्ण बनाएगी। अयोध्या के साधु-संतों ने Mahakumbh में एक लाख ग्यारह हजार पौधे लगाने का संकल्प लिया है, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का संदेश देगा। स्वामी दिलीप दास त्यागी के नेतृत्व में यह संतों का समूह इस पौधरोपण अभियान का हिस्सा बनेगा और Mahakumbh में एक नई पहचान स्थापित करेगा।
स्नान की पवित्र तिथियां और धार्मिक महत्व
Mahakumbh का शुभारंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के शाही स्नान से होगा। इसके बाद मकर संक्रांति (14 जनवरी), मौनी अमावस्या (29 जनवरी), बसंत पंचमी (3 फरवरी), माघ पूर्णिमा (12 फरवरी) और महाशिवरात्रि (26 फरवरी) के पवित्र स्नान होंगे। इस आयोजन के अंतर्गत कुल छह शाही स्नान रखे गए हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए संगम में पवित्र स्नान का अवसर प्रदान करेंगे। यह आयोजन 8 मार्च तक चलेगा और लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपने जीवन को पवित्र मानेंगे।
तकनीकी नवाचार: AI चैटबॉट ‘कुंभ सहायक’
Mahakumbh 2025 में श्रद्धालुओं की सहायता के लिए आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आयोजन में डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए एक AI आधारित चैटबॉट ‘कुंभ सहायक’ लॉन्च किया है। यह चैटबॉट विभिन्न भाषाओं में पूरी जानकारी प्रदान करेगा, जिससे श्रद्धालुओं को आयोजन के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो। ‘कुंभ सहायक’ श्रद्धालुओं को स्नान की तिथियों, आवासीय व्यवस्था, परिवहन सेवाओं, और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में मार्गदर्शन करेगा। यह पहल Mahakumbh को आधुनिकता और पारंपरिकता का समन्वय बनाती है, जिससे भारतीय संस्कृति और आधुनिकीकरण का संगम स्पष्ट होता है।
सरकार द्वारा विशेष तैयारियां और सुविधाएं
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने Mahakumbh 2025 को एक भव्य आयोजन बनाने के लिए विशेष तैयारियां की हैं। सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, परिवहन और रहने की व्यवस्था को लेकर व्यापक प्रबंध किए गए हैं। प्रयागराज में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और विदेशी मेहमानों के लिए सरकार ने व्यवस्थाएं ऐसी बनाई हैं कि उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। आधुनिक शौचालयों, जल आपूर्ति और स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि यह आयोजन हर प्रकार से सफल और सुखद अनुभव बन सके।
पिछली Mahakumbh और अर्धकुंभ की तुलना में विशेष
प्रयागराज में पिछली बार 2013 में Mahakumbh और 2019 में अर्धकुंभ का आयोजन हुआ था। Mahakumbh 2025, जो कि 12 वर्षों के अंतराल के बाद हो रहा है, एक विशेष आयोजन होगा जिसमें आस्था, भक्ति और भारतीय संस्कृति की विविधता का परिचय मिलेगा। सरकार ने इस आयोजन को यादगार बनाने के लिए कई नए पहल किए हैं, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मेहमानों की उपस्थिति और आधुनिक तकनीकी सेवाओं का समावेश शामिल है।
सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की स्थापना
Mahakumbh का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विशालता और विविधता को प्रदर्शित करने का एक प्रमुख अवसर है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आयोजन को एक ऐसी छवि दी है कि विदेशों से भी लोग प्रयागराज आकर इस महायज्ञ का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इस आयोजन से भारतीय संस्कृति, योग, अध्यात्म और भक्ति का प्रचार-प्रसार होगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
प्रयागराज Mahakumbh 2025 का आयोजन आस्था, भक्ति, और भारतीय संस्कृति का संगम होगा। देश-विदेश से श्रद्धालुओं, साधु-संतों, और अतिथियों का समागम इस आयोजन को और भी गौरवमय बनाएगा। सरकार द्वारा की गई विशेष तैयारियां, AI आधारित सेवाएं, और विदेशी अतिथियों की भागीदारी इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बनाएंगे। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत की एक नई पहचान बनाएगा।
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