Maharashtra elections 2024 : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग का दिन आ चुका है। महायुति (भाजपा और उनके सहयोगी दल) और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प है। वोटिंग से एक दिन पहले दोनों गुटों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर बढ़त बनाने की कोशिश की, लेकिन ऐसा लगता है कि ये प्रयास ज्यादा असर नहीं डाल पाएंगे। इस चुनाव में प्रमुखता से जो पांच मुद्दे चर्चा में हैं, वे ही तय करेंगे कि महाराष्ट्र की अगली सरकार किसकी होगी।
Maharashtra elections 2024 : उद्धव और शरद पवार का सिम्पैथी कार्ड
इस चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के लिए सिम्पैथी कार्ड एक अहम भूमिका निभा सकता है। उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट को बार-बार “गद्दार” कहकर निशाना बनाया है, जबकि एकनाथ शिंदे ने उद्धव पर सत्ता के लिए बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को त्यागने का आरोप लगाया है।
शरद पवार के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक जीवन का आखिरी माना जा रहा है। अगर जनता उनकी इस “आखिरी लड़ाई” को समर्थन देती है, तो एमवीए के लिए यह जीवनदायिनी साबित हो सकती है। वहीं, एनसीपी के अजित पवार गुट ने अपनी रणनीतियों से मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश की है, जिससे शरद पवार के समर्थन में वोट बंटने की संभावना है।
Maharashtra elections 2024 : मराठा और दलित वोट बैंक
मराठा समुदाय के आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरे जरांगे पाटील ने वोटिंग से पहले मतदाताओं को “विवेक का इस्तेमाल” करने की अपील की थी। हालांकि, उनके समर्थन का झुकाव शिंदे गुट की ओर दिखा।
दलित वोटों को तोड़ने के लिए भाजपा ने गैर-आंबेडकराइट दलितों को साधने की कोशिश की है। भाजपा का दावा है कि हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी दलित उप-कोटे के लिए कानून बनाया जाएगा। अगर दलित वोट एमवीए की ओर खिसकते हैं, तो महायुति के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
Maharashtra elections 2024 : वेलफेयर स्कीम की भूमिका
एकनाथ शिंदे सरकार की “लाड़की बहिन योजना” ने महिलाओं के बीच बड़ी लोकप्रियता हासिल की है। इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने ₹1500 दिए जा रहे हैं, जिसे अगले कार्यकाल में ₹2100 करने का वादा किया गया है।
एमवीए ने भी लोकलुभावन घोषणाएं की हैं। उन्होंने हर महिला को ₹3000 प्रति माह देने का वादा किया है। जनता इन योजनाओं को कितना महत्व देती है, यह चुनाव परिणाम तय करेगा।
Maharashtra elections 2024 : ओबीसी वोट बैंक
ओबीसी समुदाय महाराष्ट्र की कुल आबादी का लगभग 38% है। भाजपा ने ओबीसी नेताओं को आगे बढ़ाकर अपना आधार मजबूत करने की कोशिश की है। वहीं, एमवीए ने “संविधान बचाओ” का नारा देकर ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। अगर एमवीए ओबीसी वोटों को अपनी ओर खींचने में सफल रहती है, तो यह महायुति के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
Maharashtra elections 2024 : उद्योगों का मुद्दा
उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने बार-बार भाजपा पर महाराष्ट्र से उद्योगों को गुजरात ले जाने का आरोप लगाया है। टाटा एयरबस और सेफ्रॉन जैसी कंपनियों के महाराष्ट्र से गुजरात जाने के फैसले ने विपक्ष को शिंदे-फडणवीस सरकार पर निशाना साधने का मौका दिया है।
भाजपा ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए इसे एमवीए सरकार की “नाकामी” बताया है, लेकिन यह देखना होगा कि जनता किस पक्ष की बात पर विश्वास करती है।
महाराष्ट्र के इस चुनाव में सत्ता की लड़ाई सिर्फ गठबंधनों के बीच नहीं, बल्कि मुद्दों और वादों के आधार पर है। सिम्पैथी कार्ड, वेलफेयर स्कीम और वोट बैंक पर जोर देने की रणनीति किसे फायदा पहुंचाती है, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा। फिलहाल, मुकाबला बेहद रोमांचक है और यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र की जनता किसे अपना विश्वास सौंपती है।
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