मोदी सरकार ने “One Nation, One Election” (एक देश, एक चुनाव) विधेयक को गुरुवार को कैबिनेट की मंजूरी दे दी। इस ऐतिहासिक कदम के तहत देश में एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया का प्रस्ताव है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इसे संसद में पेश कर सकती है। विधेयक को इसी शीतकालीन सत्र में लाने की संभावना जताई जा रही है।
जेपीसी करेगी विस्तृत चर्चा
सूत्रों के अनुसार, सरकार पहले इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजेगी। समिति सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी और इस विधेयक पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी। रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने पहले ही “One Nation, One Election” पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। यह रिपोर्ट इस विधेयक के आधारभूत सिद्धांतों और लाभों को रेखांकित करती है।
देश में एक साथ चुनाव : क्या होगा बदलाव?
अभी भारत में अलग-अलग राज्यों और केंद्र के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे न केवल प्रशासनिक खर्च बढ़ता है, बल्कि विकास कार्यों में रुकावट भी आती है। “One Nation, One Election” विधेयक के जरिए इन समस्याओं को हल करने की कोशिश की जाएगी। इससे चुनावों से जुड़ी लागत और व्यवधान को कम करने में मदद मिलेगी।
सभी पक्षों से सुझाव लेने की तैयारी
सरकार ने सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों से कहा है कि वे बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से इस पर चर्चा करें। इसके साथ ही आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे। यह प्रक्रिया विधेयक को पारदर्शी और समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार विधेयक के फायदे और इसे लागू करने की प्रक्रिया पर गहन चर्चा करने का इरादा रखती है।
विपक्ष की राय और संभावित बहस
हालांकि, इस विधेयक को लेकर राजनीतिक बहस बढ़ने की संभावना है। विपक्षी दल इसकी व्यवहार्यता और प्रभावशीलता पर सवाल उठा सकते हैं। सरकार का कहना है कि वह व्यापक समर्थन हासिल करना चाहती है और सभी दृष्टिकोणों पर ध्यान देगी।
“One Nation, One Election” का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल और एकीकृत बनाना है। यह न केवल प्रशासनिक सुधार है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने का भी प्रयास है।
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