Rahul Gandhi

Rahul Gandhi की नेतृत्व क्षमता को लेकर विपक्षी दलों के बीच असहमति गहराती जा रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के प्रदर्शन और संसद में विपक्ष के नेता के तौर पर उनकी भूमिका ने शुरुआती दिनों में विपक्षी दलों को एकजुट किया। लेकिन हाल के दिनों में INDIA ब्लॉक में आंतरिक खींचतान और असहमति ने इस एकता को कमजोर कर दिया है।

अडानी मुद्दे पर मतभेद

अडानी ग्रुप के कारोबार की जेपीसी जांच के मुद्दे पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच मतभेद सामने आए। टीएमसी ने हाल ही में कांग्रेस द्वारा बुलाई गई बैठकों में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा, संसद में प्रदर्शन के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) और शिवसेना (यूबीटी) जैसे अन्य प्रमुख दलों की अनुपस्थिति ने भी गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव को Rahul Gandhi का संभल प्लान असंतोषजनक लगा, जबकि शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ में कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करने और विपक्षी दलों के साथ सामंजस्य बनाने की सलाह दी गई।

क्षेत्रीय दलों की बढ़ती असहमति

टीएमसी और सपा जैसे क्षेत्रीय दल Rahul Gandhi के नेतृत्व में असहज महसूस कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से दूरी बनानी शुरू कर दी है। वहीं, उद्धव ठाकरे ने अरविंद केजरीवाल को INDIA ब्लॉक में बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया।

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने अन्य राज्यों में विस्तार किया है, जिससे उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा बढ़ी है। शिवसेना (यूबीटी) का मानना है कि आप को गठबंधन में बनाए रखना बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्ष खड़ा करने के लिए आवश्यक है।

Rahul Gandhi के लिए बढ़ती चुनौतियां

Rahul Gandhi के सामने सबसे बड़ी चुनौती विपक्षी दलों के भीतर बढ़ती असहमति को संभालना है। कांग्रेस का अडानी मुद्दे पर जोर देना कुछ सहयोगी दलों को अप्रासंगिक लगने लगा है। रामगोपाल यादव ने कांग्रेस के हिंसा प्रभावित संभल दौरे को केवल “रस्मअदायगी” करार दिया।

ममता बनर्जी ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए INDIA ब्लॉक के नेतृत्व में बदलाव की मांग की है। उन्होंने संकेत दिया है कि Rahul Gandhi का नेतृत्व सभी विपक्षी दलों के लिए स्वीकार्य नहीं है।

विपक्षी एकता पर मंडराता खतरा

INDIA ब्लॉक की गिरती एकता से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। विपक्षी दलों के बीच समन्वय और विश्वास बहाल करने के लिए Rahul Gandhi को सामूहिक निर्णय लेने की दिशा में कदम उठाने होंगे। अन्यथा, आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की स्थिति कमजोर हो सकती है।

Rahul Gandhi के नेतृत्व की राह में कई बाधाएं हैं। यदि उन्होंने विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए समुचित प्रयास नहीं किए, तो INDIA ब्लॉक का बिखरना तय है। विपक्षी एकता बनाए रखने के लिए सभी दलों को साझा रणनीति और समान मुद्दों पर जोर देना होगा।

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