Ratan Tata : समूह के मानद सुपरस्टार रतन टाटा का निधन भारतीय उद्योग जगत और समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। 86 साल की उम्र में उनका निधन मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हुआ, जहां उम्रदराज़ क्लिनिक के कारण उनका इलाज चल रहा था। रविवार की रात वे अपनी अंतिम सांसें ले चुके थे और उनके निधन की खबर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। रतन टाटा एक प्रतिष्ठित उद्योगपति के साथ-साथ एक आभूषण और व्यक्तित्व के रूप में जाने गए थे।
Ratan Tata : उनके पार्थिव शरीर को पहले अस्पताल से उनके घर लाया गया, और फिर अंतिम दर्शन के लिए मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) के ग्राउंड में रखा गया। यहां गुरुवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकते हैं। टाटा को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी, जो उनके जीवन और उनके द्वारा किए गए स्मारक स्मारकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रतीक है। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने इसकी पुष्टि की है। तिरंगे में उनके पार्थिव शरीर को एनसीपीए ग्राउंड में लोगों की नजरों में देखा गया, फूलों और पहाड़ियों में अपार सम्मान देखा गया।
Ratan Tata : रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यावसायिक और सामाजिक क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता ने टाटा समूह को नई पहचान तक पहुँचाया। अपने व्यवसाय में टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जैसे जगुआर लैंड रोवर और कोरस स्टील, जो भारतीय व्यापार को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित हुए।
Ratan Tata : रतन टाटा न केवल एक सफल उद्योगपति के रूप में जाना जाता है, बल्कि उनका उद्यम और परोपकारी कार्य भी उनका विशेष स्थान है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास क्षेत्र में ट्रस्ट के माध्यम से अनगिनत योगदान दिए। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने समाज के लिए कई मंदिर और गुफाएं बनाईं, जिनमें ग्रामीण इलाकों के विकास से लेकर गरीबों की मदद तक कई पहल शामिल थीं।
Ratan Tata : उनका जीवन सादगी, निष्ठा और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक था। रतन टाटा हमेशा अपने कर्मचारियों और समाज के प्रति अपनी-अपनी जगह को प्राथमिकता देते थे। उनके निधन के बाद भी उनके योगदान और उनके सिद्धांत से उद्योग जगत और समाज को प्रेरणा मिलती रहेगी। उनके द्वारा स्थापित की गई मिशालें और उनकी विरासत सदैव जीवित बनी रही। उनका अस्तित्व एक युग के अंत की तरह है, लेकिन उनके विचार और कार्य अमर रहेंगे।