तमिल फिल्मों के सुपरस्टार Thalapathy Vijay राजनीति में क़दम रखने के बाद तमिलनाडु की राजनीति में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ‘तमिलगा वेट्ट्री कझगम’ पार्टी के माध्यम से उनकी एंट्री ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। 27 अक्टूबर को हुई पहली चुनावी रैली में लाखों की भीड़ ने उनकी लोकप्रियता का प्रमाण दिया। दक्षिण भारत में सिनेमा और राजनीति का संबंध बेहद गहरा रहा है।Thalapathy Vijay की एंट्री इस चलन की पुष्टि करती है, लेकिन सवाल यह है कि क्यों दक्षिण भारत में फिल्मी सितारे राजनीति में सफल होते हैं जबकि उत्तर भारत में ऐसा कम ही होता है?
साउथ की राजनीति में सितारों का मजबूत आधार
दक्षिण भारत के फिल्मी सितारे राजनीति में लंबे समय से कामयाबी के झंडे गाड़ रहे हैं। इसका पहला उदाहरण एम.जी. रामचंद्रन और एन.टी. रामाराव जैसे सितारों से मिलता है जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए समाज में गहरी छाप छोड़ी। एमजीआर ने तमिलनाडु की राजनीति में अपनी पार्टी एआईएडीएमके के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुख्यमंत्री बने। आंध्र प्रदेश में एन.टी.आर. ने तेलुगु देशम पार्टी बनाई और कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त करते हुए मुख्यमंत्री बने। इन सितारों ने जनता की उम्मीदों का प्रतिनिधित्व किया और उनके प्रति जुड़ाव बनाने में कामयाब रहे।
Thalapathy Vijay ने भी अपनी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को उठाया है और उनकी छवि एक नायक की है जो भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है।Thalapathy Vijay की पार्टी ‘तमिलगा वेट्ट्री कझगम’ के माध्यम से तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है।Thalapathy Vijay ने पहली रैली में तमिल राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया और पेरियार का जिक्र किया। हालांकि उन्होंने पेरियार के नास्तिकता के विचार को अपनाने से इंकार किया है, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि वे तमिल अस्मिता को राजनीति में स्थान देना चाहते हैं।
साउथ की राजनीति में सिनेमा का गहरा प्रभाव
साउथ इंडिया की फिल्मों में सामाजिक मुद्दों का गहरा प्रभाव रहता है। तमिलनाडु में सिनेमा का इस्तेमाल खासतौर पर जातिवाद, गरीबी, धार्मिक पाखंड और छुआछूत के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए किया गया है। एम. करुणानिधि और अन्नादुरई जैसे नेता जिन्होंने फिल्मों के जरिए जनता तक अपनी बात पहुंचाई। इस तरीके से दक्षिण भारत में सिनेमा और राजनीति का संबंध मजबूती से स्थापित हुआ। फिल्मों में दिखाई जाने वाली समस्याओं ने लोगों में जागरूकता और बदलाव की आकांक्षा को जन्म दिया।
इस संदर्भ में Thalapathy Vijay की लोकप्रियता और उनके समर्थकों की संख्या को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वे दक्षिण भारत की राजनीति में एक मजबूत स्थान हासिल कर सकते हैं।Thalapathy Vijay की सादगी और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें साउथ के अन्य नेताओं से जोड़ा है, जो फिल्मों के माध्यम से जनता के बीच एक प्रभावशाली छवि बनाए रखते हैं।
नॉर्थ इंडिया में बॉलीवुड सितारों का सीमित असर क्यों?
उत्तर भारत में भी कई फिल्मी सितारों ने राजनीति में कदम रखा, लेकिन वहां वे अक्सर सीमित प्रभाव डाल पाते हैं। अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र जैसे बड़े नामों ने राजनीति में प्रवेश किया, लेकिन वे उतनी सफलता हासिल नहीं कर सके जितनी साउथ के सितारों ने की। इसका एक कारण यह है कि बॉलीवुड फिल्मों में सामाजिक मुद्दों का दक्षिण भारतीय सिनेमा जैसा गहरा संबंध नहीं है। बॉलीवुड में ज्यादातर फिल्में व्यावसायिक सफलता के लिए बनाई जाती हैं, जिनका संबंध सीधे राजनीतिक जागरूकता से नहीं होता।
उत्तर भारत के सिनेमा और राजनीति में जुड़ाव कम है, और वहां की राजनीति क्षेत्रीयता से ज्यादा राष्ट्रीयता पर आधारित है। यह कारण भी हो सकता है कि साउथ के मुकाबले नॉर्थ इंडिया के फिल्मी सितारे राजनीति में उस हद तक सफलता हासिल नहीं कर पाते।
Thalapathy Vijay की राजनीति में भविष्य की संभावनाएं
Thalapathy Vijay का तमिलनाडु में पदार्पण दक्षिण भारत में फिल्मों के प्रभाव की पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाता है।Thalapathy Vijay ने अपनी पहली रैली में तमिल अस्मिता और द्रविड़ राजनीति को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने अपने समर्थकों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि वे किसी भी गठबंधन के लिए तैयार हैं, जिससे वे तमिलनाडु की राजनीति में अपनी पकड़ को और मजबूत बना सकें।Thalapathy Vijay का आना 2026 के तमिलनाडु चुनाव को और दिलचस्प बना देगा, जहां वे डीएमके और एआईएडीएमके जैसी बड़ी पार्टियों को टक्कर देने की स्थिति में हैं।
विजय की राजनीतिक यात्रा अब किस दिशा में जाती है, यह देखना दिलचस्प होगा। उनकी स्टार पावर और सामाजिक मुद्दों पर उनके स्टैंड ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। Thalapathy Vijay का राजनीति में प्रवेश उनके प्रशंसकों के लिए एक आशा की किरण हो सकता है, लेकिन यह देखने लायक होगा कि वे इस क्षेत्र में कितनी कामयाबी हासिल कर पाते हैं।